Neeraj Agarwal

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लेखनी कहानी -08-Jan-2024

शीर्षक - स्वैच्छिक (सुबह)


आज हम एक नए शीर्षक के साथ सुबह यह कहानी का स्वैच्छिक शीर्षक है आओ हम सब जाना सुबह के लिए पढ़ते हैं सुबह एक प्राकृतिक और हम सबके लिए गुड मॉर्निंग या प्रातः बंधन के नाम से हम सुबह को जानते हैं आजकल तो सुबह-सुबह का नाम जय श्री राम भी हो चुका है चलो यह तो सुबह का थोड़ा सा परिचय हुआ अब हम सुबह को एक कहानी के रूप में पढ़ते हैं सुबह सच तो हम सब की सुबह होती है।......... रजनी कमरे का पर्दा खोलते हुए रानी से बोलती है तुमको कॉलेज वगैरा नहीं जाना है सूरज सुबह का नाम छोड़कर दोपहर में बदल रहा है पता भी है कितने बजे हैं 11:00 बज चुके हैं और तुम्हारे कॉलेज के लिए अब तक समय नहीं हुआ है रानी ओह मम्मी आप भी भूल जाती हो। आज संडे है यानी रविवार है और मैं रविवार की सुबह-सुबह की नींद मस्ती के साथ सपने देखना चाहती हूं और आप हो कि हर समय कॉलेज पढ़ाई कॉलेज पढ़ाई का चिंतन और चिंता करती रहती है मम्मी समय आधुनिक है मैंने अपनी घड़ी में अलार्म लगा रखे हैं और आजकल तो आधुनिक जमाने में मोबाइल ऐसा है कि आप हर समय अलार्म के रूप में मैनेज कर सकती हो। तब मम्मी बेटी अब तो बड़ी हो गई है थोड़ी सुबह उठकर कुछ मेरे साथ रसोई घर में भी हाथ बटाया कर वरना पराए घर जाकर मेरी नाक कटवाएगी। सुबह की मस्ती लेते हुए रानी मां से कहती है मां मैं तो यही रहूंगी और आप कोई घर जमाई ढूंढ लो जो आपका भी काम करें और मेरा भी काम के साथ नाम करें। अच्छा तो अब यह और कसर रह गई थी मेरी नाक कटवाने में रानी हंसते हुए सुबह-सुबह की मस्ती के साथ बाथरूम की ओर चली जाती है । और रजनी रसोई में जाकर नाश्ते की तैयारी करती है कुछ देर बाद रानी फ्रेश होकर नहा धोकर सुबह-सुबह के नाश्ते की टेबल पर आ जाती है फिर दोनों मां बेटी सुबह-सुबह का नाश्ता करती है क्योंकि रजनी एक शहीद मेजर की पत्नी है और रानी उनकी एक इकलौती बेटी थी जो कि अब बड़ी हो चुकी है दोनों मां बेटी अपने जीवन में खुशियों से जीवन जीती है।और सुबह-सुबह हम उठ तो जाते हैं परंतु यह नहीं समझते हैं । कि हर सुबह ईश्वर की दी हुई सांसों के साथ ही हमें मिलती है क्योंकि सुबह को जब उठते हैं तो रात को सोते समय हमें नहीं मालूम होता कि हम जीवित हैं या नहीं भी बस जीवन का यही एक सुबह सुबह हमारी जिंदगी और हमारे जीवन का आज होता है। क्योंकि हर सुबह आज में ही होती है कल तो हम उम्मीद के साथ कह सकते हैं परंतु कल कभी आता ही नहीं है हमेशा हम आज में ही जीते और मरते हैं रजनी और रानी सुबह-सुबह अपनी नाश्ते के साथ अपने जीवन अपने दिन की दिनचर्या को बताती है और रानी सुबह का नाश्ता करने के साथ-साथ अब शाम हो चली होती है और वह अपनी दिनचर्या के साथ शाम के समय बैडमिंटन कोर्ट के लिए रवाना हो जाती है बस यही जीवन की जिंदगी की सुबह और शाम सब के साथ रहती है। भला ही हम सबके साथ काम अलग-अलग हो परंतु तो सुबह तो सबकी एक सी ही होती है आओ हम सब सुबह की आज में जीवन जीते हैं और मस्त होकर सुबह के समय ईश्वर को धन्यवाद देते है कि उसने हम सबको एक सुबह और दे दी हैं। आओ कुछ ऐसा करते हैं जो हर सुबह हमें मिलती रहे बस यही तो जीवन की सुबह है।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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6 Comments

Alka jain

16-Jan-2024 11:00 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

09-Jan-2024 05:52 PM

👌🏾

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Varsha_Upadhyay

09-Jan-2024 01:01 PM

Nice

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